भगन्दर (Fistula) 

मात्रा और मात्रा ‘क्षार-सूत्र’ आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा ही भगन्दर (Fistula) मेें 100 प्रतिशत परिणाम देने वाली है जो कि सुश्रुत  (Father of Surgery) ,  आयुष विभाग ;स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार दिल्लीद्ध द्वारा प्रमाणित हैं एवं अब रिसर्च के बाद आध्ुनितक पद्वति द्वारा भी प्रमाणित हो चुकी है।

क्षार सूत्रा क्या है व कैसे काम करता है, जानेः-

धगे पर क्षार (Alkaline-PH9.5) सहित तीन आयुर्वेदिक औषध् िकी 21 कोटिंग की जाती है पहली 11 कोटिंग स्नुही अर्क से ;काटने का कार्यद्ध दूसरी 7 कोटिंग अपामार्ग क्षार से ;इंपफेक्शन को खत्म करने काद्ध तथा तीसरी 3 कोटिंग हरिद्रा से जो कि जख्म भरने का कार्य करती है अत क्षार सूत्रा द्वारा किये गये भगंदर की चिकित्सा में तीनों ही कार्य एक साथ चलते रहते है इसलिए भगन्दर दुबारा नही होता जबकि अन्य पेथी में पहले काटते हैं तथा बाद में दवा खिलाकर इंपफेक्शन रोकने व जख्म भरने की कोशिश की जाती है जो कि कभी सपफल होती भी है और अध्कितर नहंीं भी।

इसलिए अन्य पेथियों में भगंदर 50 प्रतिशत दुबारा हो जाते हैं। भगन्दर (Fistula) के लक्षणः- गुदा के पास पफंुसी का बार बार उभरना उसमें से पानी, पस या खून आना, दर्द, दवा खाने से आराम तथा बाद में पिफर वैसे ही हो जाना आदि।

 

अन्य पैथी

  • 1- आॅपरेशन बेहोशी में होता है।
  • 2- 5-7 दिन ;ठमक त्मेजद्ध या हास्पिटल में भर्ती रहना पडता है।
  • 3-रोजाना पट्टी के लिए हास्पिटल जाना पड सकता है।
  • 4- ;भ्पही ।तपजप.ठपवजपब द्ध खानी पडती है।
  • 5- खून चढाना पड सकता है।
  • 6- अगर भगन्दर बहुत गहारा ;भ्पही ।दंसद्ध है जो कि गुदा रिंग

(Sphinter) मल त्याग की क्रिया को नियंत्रित करने वालाद्ध के पार चला गया है तो आॅपरेशन के दौरान

ंिरंग कटने से मल रोकने की नियंत्राण शक्ति खत्म हो जाती है तथा मल अपने आप कपडों में निकल जाता है।

क्षार-सूत्र

  • 1- केवल सुन्न करके होता है।
  • 2- कोई आवश्यकता नहीं।
  • 3- कोई आवश्यकता नहीं।
  • 4- कोई आवश्यकता नहीं।
  • 5- कोई आश्यकता नहीं।
  • 6- क्षार सूत्रा को भगन्दर में डाल दिया जाता है तथा वह हर हफ्रते बदला जाता है
fistula treatment ksharsutra

भगन्दर (Fistula) and Kshar Sutra

जिससे हर हफ्रते (1cm average) की दर से रास्ता काटता जाता है तथा पीछे का कटा रास्ता भरता रहता है जिससे ंिरग के एक दम के कट जाने का खतरा नहीे होता और न ही मल नियंत्रात को क्रिया में कोई बाध आती।

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